उत्तर-पूर्वी राज्यों में विरोध के बीच राष्ट्रपति कोविंद की मंजूरी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक बना कानून

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद Reuters

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ उत्तर-पूर्वी राज्यों खासकर असम में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों, आगजनी, कर्फ्यू लगने, इंटरनेट बंद होने के बीच संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल कानून बन गया। गुरुवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक पर दस्तखत कर इसे अपनी मंजूरी दे दी।

राष्ट्रपति से मिली मंजूरी के बाद इसने कानून का रूप ले लिया है और अब इसके प्रावधान को देश में लागू किया जा सकेगा। दूसरी तरफ, इस बिल के विरोध में असम में गुरुवार को 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार राष्ट्रपति कोविंद ने गुरुवार देर रात बिल पर हस्ताक्षर कर दिए जिसके बाद नागरिकता कानून, 1955 में संबंधित संशोधन हो गया। इससे तीन पड़ोसी इस्लामी देशों- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत की शरण में आए गैर-मुस्लिम धर्मावलंबियों को आसानी से नागरिकता मिल सकेगी।

एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार गुरुवार को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के साथ ही यह कानून लागू हो गया है। इस कानून के अनुसार हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के जो सदस्य 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं और जिन्हें उनके देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा द्वारा और सोमवार को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

इस बीच नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद उत्तर-पूर्वी राज्यों में स्थिति तनावपूर्ण है। गुवाहाटी में 2 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई है। अडिशनल चीफ सेक्रेटरी कुमार संजय मिश्रा ने बताया कि 10 जिलों (लखीमपुर, तिनसुकिया, धेमाजी, डिब्रूगढ़, कारेडियो, सिवसागर, जोरहाट, गोलाहाट, कामरुप) में मोबाइल सर्विस बंद करने की समय सीमा 48 घंटे और बढ़ा दी है।

वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी सहयोगी पार्टी आईपीएफटी को भरोसा दिलाया कि मोदी सरकार नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर उनकी चिंताओं का ख्याल रखेगी।

इससे पहले संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृत चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। सदन ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने के विपक्ष के प्रस्ताव और संशोधनों को खारिज कर दिया।

विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े जबकि 105 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

साभार : यह लेख मूल रूप से समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है. यह मूल लेख का हिंदी अनुवाद है.