सावधान! सीबीआई, आईबी, रॉ सहित 7 अन्य एजेंसियां कभी भी खंगाल सकती हैं आपका कंप्यूटर या पेन ड्राइव

सांकेतिक तस्वीर Flickr

केंद्र सरकार ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर सिस्टम में रखे गए सभी डेटा की निगरानी करने और उन्हें देखने के अधिकार दिए हैं. केंद्रीय गृह मंत्रालय के साइबर एवं सूचना सुरक्षा प्रभाग द्वारा गुरुवार देर रात गृह सचिव राजीव गाबा के जरिए यह आदेश जारी किया गया.

आदेश के मुताबिक, 10 केंद्रीय जांच और खुफिया एजेंसियों को अब सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत किसी कंप्यूटर में रखी गई जानकारी देखने, उन पर नजर रखने और उनका विश्लेषण करने का अधिकार होगा.

केंद्र सरकार ने सरकारी आदेश जारी करते हुए इन 10 एजेंसियों के नाम भी जाहिर किए हैं जिन्हें ये अधिकार दिया गया है. इनमें सीबीआई, आईबी, एनआईए जैसी बड़ी सुरक्षा एजेंसियां भी शामिल हैं. गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक ये एजेंसियां आपके कंप्यूटर पर नजर रख सकती हैं.

सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 69 किसी कंप्यूटर संसाधन के जरिए किसी सूचना पर नजर रखने या उन्हें देखने के लिए निर्देश जारी करने की शक्तियों से जुड़ी है.

पहले के एक आदेश के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्रालय को भारतीय टेलीग्राफ कानून के प्रावधानों के तहत फोन कॉलों की टैपिंग और उनके विश्लेषण के लिए खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को अधिकृत करने या मंजूरी देने का भी अधिकार है.

गृह मंत्रालय ने आईटी एक्ट, 2000 के 69 (1) के तहत यह आदेश दिया है. इसमें कहा गया है कि भारत की एकता और अखंडता के अलावा देश की रक्षा और शासन व्यवस्था बनाए रखने के लिहाज से जरूरी लगे तो केंद्र सरकार किसी एजेंसी को जांच के लिए आपके कंप्यूटर को एक्सेस करने की इजाजत दे सकती है.

गृह मंत्रालय के जिस आदेश के अनुसार सरकारी एजेंसियों की मांग पर कंप्यूटर में मौजूद डाटा जांच में देने की बात कही गई है, उसमें कंप्यूटर की परिभाषा साफ नहीं की गई है. हालांकि जानकारों के मुताबिक इस कंप्यूटर टर्म का मतलब पर्सनल कंप्यूटर, डेस्कटॉप, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्टफोन और यहां तक कि डाटा स्टोरेज डिवाइस सभी से होगा.

ऐसे में इन सारे ही डिवाइसेज़ में उपलब्ध डेटा को ये एजेंसियां कभी भी जांच के लिए मांग सकती हैं. इसमें डीक्रिप्ट और इन्क्रिप्ट डेटा भी शामिल होगा. इसकी भी जांच की जा सकती है. साथ ही जिस डिवाइस की जांच की जा रही है, उससे कोई भी डाटा जांच चलने तक भेजे जाने से भी रोका जा सकता है.

इस आदेश में यह भी नहीं साफ है कि कथित डाटा से क्या मतलब है और कौन सा ऐसा डेटा है जो ख़तरे का सबब हो सकता है. हालांकि यह साफ है कि किसी भी यूजर को उसके यूजर डेटा से बिना जरूरी आदेश के नहीं रोका जा सकेगा. यह सेक्शन यह भी कहता है कि ऐसा तभी किया जाएगा अगर राष्ट्रीय संप्रभुता, भारतीय रक्षा, सुरक्षा, विदेशों से दोस्ताना संबंधों या पब्लिक ऑर्डर बिगाड़ने की संभावना हो.